Posts

Showing posts from December, 2021

जीवामृत बनाने की विधि, जानिए सामग्री, प्रयोग और प्रभाव

 जीवामृत बनाने की विधि, जानिए सामग्री, प्रयोग और प्रभाव जीवामृत, वर्तमान में खेती आमतौर पर विदेशों से आयातित या अपने देश में निर्मित कृषि रसायनों पर आधारित है| परिणाम स्वरूप खेती निरन्तर महंगी, विषाक्त जल एवं वातावरण प्रदूषण की समस्या भयावह होती जा रही है| कृषि रसायन के अंधाधुंध उपयोग के कारण भूमि में जीवान्श (जैविक कार्बन) की कमी होती जा रही है| देश में कई सारे भूभाग में जैविक कार्बन की मात्रा 0.5 प्रतिशत से कम और कई स्थानों पर 0.2 प्रतिशत से भी कम हो गई है| ऐसी परिस्थिति में भूमि की उत्पादन क्षमता दिनों दिन कम और खेती महंगी होती जा रही है| परिणातमः बहुत सारे नवयुवक शहरों की तरफ पलायन कर रहे हैं| पौधों का आहार भूमि जीवांश (हूयूमस) जो जैव एवं पशुजनित अवशेष के विघटन से बनता है| जीवांश भूमि में विद्यमान पोषक तत्वों और जल, पौधों के आवश्यकतानुसार उपलब्ध कराने में सहायक होते हैं| साथ ही साथ इनके प्रयोग से उगाई गयी फसलों पर बीमारियों तथा कीटों का प्रकोप बहुत कम होता है| जिससे हानिकारक रसायन, कीटनाशकों के छिड़काव की आवश्यकता नहीं रह जाती है| इसका परिणाम यह होता है, कि फसलों से प्राप्त खाद्यान

गन्ने की जैविक खेती

 गन्ने की जैविक खेतीः गदाना गांव के गुड़-शक्कर के विदेशी भी हैं मुरीद मोदीनगर तहसील के गांव गदाना निवासी किसान मनोज नेहरा परंपरागत खेती को अलग तरीके से कर करीब शून्य लागत में लाखों का मुनाफा कमाते हैं। उनके यहां जैविक गन्ने से बने गुड़ शक्कर की मांग विदेशों तक है। जैविक गन्ने से बना गुड़ स्वादिष्ट होने के साथ गुणवत्ता में भी बेजोड़ है। दूरदराज के किसान जैविक खेती करने का तरीका देखने और सीखने गदाना पहुंच रहे हैं। रासायनिक खादों से खेती करने के तमाम दुष्परिणाम सामने आए हैं। रासायनिक खादों के अत्यधिक उपयोग से मिट्टी में अति सूक्ष्म आवश्यक तत्वों की कमी हो जाती है। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, पिछले 50-60 सालों में जिंक, लौह, तांबा एवं मैग्नीशियम हमारी मिट्टी से धीरे-धीरे खत्म हो गए हैं। घातक दुष्परिणामों से चिंतित वैज्ञानिक किसानों को जैविक खेती करने के लिए प्रेरित कर रहें है।  मोदीनगर-हापुड़ मार्ग स्थित गांव गदाना निवासी किसान मनोज नेहरा पिछले 20 साल से लगातार जैविक खेती कर रहें हैं। 50 वर्षीय मनोज नेहरा ने बताया कि उन्हें रासायनिक खाद का प्रयोग करने में डर लगता था। इसलिए उन्होंने खेती की

जैविक खेती कैसे करें पूरी जानकारी

जैविक खेती कैसे करें पूरी जानकारी ! Organic Farming in Hindi जैविक खेती देशी खेती का आधुनिक तरीका है| जहां प्रकृति एवं पर्यावरण को संतुलित रखते हुए खेती की जाती है| इसमें रसायनिक खाद कीटनाशकों का उपयोग नहीं कर खेत में गोबर की खाद, कम्पोस्ट, जीवाणु खाद, फसल अवशेष, फसल चक और प्रकृति में उपलब्ध खनिज जैसे रॉक फास्फेट, जिप्सम आदि द्वारा पौधों को पोषक तत्व दिए जाते हैं| फसल को प्रकृति में उपलब्ध मित्र कीटों, जीवाणुओं और जैविक कीटनाशकों द्वारा हानिकारक कीटों तथा बीमारियों से बचाया जाता है| जैविक खेती की आवश्यकता आजादी के समय खाने के लिए अनाज विदेशों से लाया जाता था, खेती से बहुत कम पैदा होता था, किन्तु जनसंख्या में अप्रत्याशित वृद्धि होती गई, अनाज की कमी महसूस होने लगी| फिर हरित क्रान्ति का दौर आया इस दौर में 1966-67 से 1990-91 के बीच भारत में अन्न उत्पादन में अभूतपूर्व वृद्धि हुई| अधिक अनाज उत्पादन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अंधाधुंध उर्वरकों, कीटनाशकों और रसायनों का प्रयोग किया जाने लगा, जिसके कारण भूमि की विषाक्तता भी बढ़ गई| मिट्टी से अनेक उपयोगी जीवाणु नष्ट हो गए और उर्वरा शक्ति भी